Thursday, November 15, 2018

ويقول وكيل جهاز أمن الدولة في مصر سابقا وأحد الفاعلين خلال فترة

ومن بين الاتهامات الموجهة للزمر الرئيس السابق لحزب البناء والتنمية الذراع السياسي للجماعة الاسلامية في إحدى القضايا التي يحاكم فيها "بقديم الدعم المالي من خارج مصر لكوادر تنظيم ولاية سيناء بالداخل لتنفيذ المخططات العدائية".
الجماعة والدولة
شهدت نهاية سبعينيات القرن الماضي حين نشأت الجماعة حتى عام 1997 صداما مسلحا بين الجماعة والدولة المصرية،إذ هاجم أعضاء بالجماعة العديد من الشخصيات العامة والأهداف الحيوية، كان أبرزها إغتيال الرئيس المصري، أنور السادات، في عام 1981 وانتهاء بالهجوم على معبد الدير البحري بالاقصر في عام 1997 ومقتل عشرات السياح الأجانب.
وقتلت الشرطة عشرات من أنصار الجماعة خلال المواجهات قبل أن يعلن قادة الجماعة في السجون المصرية في نهاية عام 1997 مبادرة لوقف العنف ومراجعات لنهج الجماعة اكتملت في عام 2001 لتوجيه الجماعة إلى العمل المدني ظلا وعلنا.
وفي أواخر يناير 2011 ، عادت الجماعة للواجهة السياسية بقوة، إذ خاضت استحقاقات انتخابية بعد تشكيل حزب سياسي وتسجيلها كجمعية أهلية.
وفي أول انتخابات برلمانية تشهدها مصر بعد تنحي مبارك، فازت الجماعة ب 17 مقعدا في مجلس الشعب (مجلس النواب حاليا) الذي ألغي بحكم من المحكمة الدستورية العليا في يونيو/حزيران من العام نفسه. كما فازت بعدد من مقاعد مجلس الشورى أو الغرفة العليا للبرلمان الذي ألغي وجوده في دستور عام 2014.
وظهر عدد من قادة الجماعة في مناسبات مختلفة يدعمون الحملات الانتخابية للمرشح محمد مرسي المنتمي لجماعة الإخوان المسلمين، كما ظهر عدد من أعضاء الجماعة البازين المشاركين في المراجعات على منصة إعتصامي رابعة العدوية والنهضة لأنصار مرسي مؤيدين للرئيس المنتخب ورافضين عزله، ومنهم الزمر وعبد الماجد وآخرين.
ومنذ ذلك الحين تتهم سلطات التحقيق المصرية عددا من قادة الجماعة بالعودة إلى نهج العنف ومقاومة السلطات ورفض خارطة الطريق التي جاءت بالنظام الحالي في مصر.
وسافر عدد من قادة الجماعة خارج مصر إلى قطر وتركيا وسوريا وبلدان أخرى من بينهم طارق الزمر وعاصم عبد الماجد ومحمد شوقي الاسلامبولي هربا من الملاحقات الامنية والقضائية.
واعتبر ناجح إبراهيم، الذي شارك في صياغة مراجعات الجماعة من السجون في عام 1997 و 1998 عندما كان من قياديي الجماعة المحبوسين وقتها، حكم المحكمة إدراج الجماعة على قائمة الارهاب "توسعا ضارا يخل بمعنى الارهاب في اذهان الناس."
وأضاف "الجماعة ودعت الإرهاب والعنف منذ سنوات طويلة منذ مبادراتها في نهاية 1997 وأوائل 1998، ودعته فكرا وسلوكا عندما سلم الجناح العسكري أسلحته ونفسه طواعية وغُير فكر الجماعة الإسلامية تماما، وقد كنت أحد الذين أسهموا في هذا الأمر مع قادة آخرين ولم تنفذ الجماعة أي عمل إرهابي منذ إعلانها المراجعات إلى اليوم بل إن بعض ابنائها أسهموا في حماية المقار الأمنية والكنائس في 25 يناير (2011)."
وأردف قائلا: "أعتقد ان الدولة تريد إنهاء الجماعات بحيث لا يكون هناك جماعات في مصر نهائيا".
وشدد إبراهيم على أن الجماعة الاسلامية أصدرت بيانات وكتبا "تحارب فيه داعش فكرا وسلوكا".
وعن رأي قادة حاليين بالجماعة في مصر يتواصل معهم حول حكم المحكمة قال إبراهيم: "تحدث معي بعضهم وهم مستغربون من هذا القرار ولا يعرفون مغزاه، ومن الخطأ الكبير عدم وجود تواصل بين الطرفين الجماعة والدولة".
وعبر إبراهيم عن إرتياحه من قرار المحكمة استثناء حزب البناء والتنمية من القرار قائلا: "أظن أنه من الذكاء الحكومي الإبقاء على الحزب، إذ أن الجماعات أضرت بالإسلام والوطن وبنفسها وأبنائها.، وقد نجحت تونس والمغرب لأن بهما أحزابا وليس جماعات، لكن تصنيفها إرهابية من الخطورة بمكان، لأن الناس يعرفون أبناء الجماعة الاسلامية ويتعاملون معهم ولا يلمسون منهم خطرا في أماكن وجودهم، ولا سيما في صعيد مصر."

Friday, October 5, 2018

पृथ्वी शॉ: छोटी उम्र में बड़ा कमाल

थ्वी शॉ के पहले टेस्ट मैच में उतरने से पहले ही उनकी ख़ासी चर्चा हो रही थी और उन्होंने अपनी पहली ही टेस्ट पारी में दिखा दिया कि वो चर्चा यूं ही नहीं थी. राजकोट में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ भारत के 293वें टेस्ट क्रिकेटर बने पृथ्वी शॉ ने अपनी पहली ही पारी में टेस्ट शतक जड़ दिया.
उन्हें साथी खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे और कोच रवि शास्त्री ने सलाह दी थी कि अपने खेल और स्टाइल में बदलाव की ज़रूरत नहीं है और शॉ ने ऐसा ही किया.
टॉस जीत कर पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम की पारी का आगाज़ करने उतरे पृथ्वी शॉ ने जिस निर्भीक अंदाज में बल्लेबाज़ी की उसे देख कर यह कहीं से नहीं लग रहा था कि महज 18 वर्षीय इस क्रिकेटर का यह पहला टेस्ट है.
उनके बल्ले से सबसे पहले निकले तीन रन. फिर तो उन्होंने चौके की बौछार कर दी और इस दौरान पृथ्वी शॉ की बल्लेबाज़ी में स्ट्रेट ड्राइव, कवर ड्राइव, ऑफ़ ड्राइव, स्कवेयर कट, लेग ग्लांस, कट, पुल, स्वीप, रिस्ट वर्क जैसे तमाम शॉट्स निकले. थ्वी शॉ ने केवल 56 गेंदों में अर्धशतक जड़ दिया. वो यहीं नहीं रुके इसके बाद उन्होंने संभलते हुए बल्लेबाज़ी करनी शुरू की और फिर पहले ही टेस्ट में शतक का रिकॉर्ड भी बना डाला.
इस शतक के साथ ही पृथ्वी शॉ पहले टेस्ट में शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बल्लेबाज़ भी बन गए.
पृथ्वी शॉ, पहले टेस्ट में शतक जड़ने वाले दुनिया के 104वें और भारत के 15वें क्रिकेटर हैं.
अपने पहले टेस्ट में शतक जमाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज़ लाला अमरनाथ थे जिन्होंने 1933 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 118 रनों की पारी खेली थी.
इसके बाद दीपक शोधन (110), कृपाल सिंह (100 नाबाद), अब्बास अली बेग (112), हनुमंत सिंह (105), गुंडप्पा विश्वनाथ (137), सुरेंद्र अमरनाथ (124), मोहम्मद अजहरुद्दीन (110), प्रवीण आमरे (103), सौरव गांगुली (131), वीरेंद्र सहवाग (105), सुरेश रैना (120), शिखर धवन (187) और रोहित शर्मा (177) भारत के लिए अपने पहले ही टेस्ट में शतक जमा चुके हैं.
चार साल की उम्र में अपनी मां को खोने वाले पृथ्वी शॉ मुंबई के बाहरी इलाके विरार में पले बढ़े हैं.
आठ साल की उम्र में उनका बांद्रा के रिज़वी स्कूल में एडमिशन कराया गया ताकि क्रिकेट में करियर बना सकें.
स्कूल से आने जाने में उन्हें 90 मिनट का वक्त लगा करता था जिसे वो अपने पिता के साथ तय किया करते थे.
14 साल की उम्र में कांगा लीग की 'ए' डिविजन में शतक जड़ने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बने.
दिसंबर 2014 में अपने स्कूल के लिए 546 रन का रिकॉर्ड बनाया.
पृथ्वी मुंबई की अंडर-16 टीम की कप्तान कर चुके हैं. और उन्होंने न्यूज़ीलैंड में बतौर कप्तान भारत को अंडर-19 वर्ल्ड कप भी दिलाया है.
जनवरी 2018 में आईपीएल के लिए हुए ऑक्शन में पृथ्वी शॉ को दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.2 करोड़ रुपये में अपनी टीम में लिया.
किंग्स इलेवन पंजाब के ख़िलाफ़ पहला मैच खेलने के साथ ही पृथ्वी आईपीएल के इतिहास के सबसे कम उम्र (18 साल 165 दिन) के क्रिकेटर बन गए.
पहले मैच में ही उन्होंने 10 गेंदों पर 22 रन बना कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर दिया और पूरे टूर्नामेंट के दौरान 9 मैचों में 27.22 की औसत से 245 रन बनाए. इस टूर्नामेंट में उनका स्ट्राइक रेट 153.1 का रहा.
पिछले दो दशकों के दौरान रणजी ट्रॉफ़ी के पदार्पण मैच में शतक बनाने वाले पहले क्रिकेटर बने. पृथ्वी शॉ दलीप ट्रॉफ़ी के पहले मैच में भी शतक जड़ने का कमाल कर चुके हैं.
2017-18 के रणजी ट्रॉफ़ी में पृथ्वी शॉ ने बेहद अच्छी बल्लेबाज़ी की. उन्होंने तमिलनाडु (123), ओडिशा (105) और आंध्र प्रदेश (114) के ख़िलाफ़ शतक बनाए.
टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण से पहले पृथ्वी शॉ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट के अब तक 15 मैचों में 57.44 की औसत 7 शतकों की मदद से 1,436 रन बनाए हैं.
इसके अलावा इंग्लैंड में भारत 'ए' के लिए खे
पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने लिखा, "18 साल के लड़के को मैदान में उतरते ही नेचुरल गेम खेलते देखना अच्छा लगा."
ते हुए पृथ्वी शॉ ने 60.3 की औसत से सर्वाधिक 603 रन बनाए. भारतीय टीम के हालिया इंग्लैंड दौरे के अंतिम दो मैचों के लिए पृथ्वी शॉ टीम में चु
संजय मांजरेकर ने लिखा, "पृथ्वी शॉ को डेब्यू मैच में शतक बनाने के लिए बधाई." मांजरेकर ने शॉ की 100 के स्ट्राइक रेट से रन बनाने की तारीफ की.
ने गए लेकिन तब उन्हें अंतिम ग्यारह में खेलने का मौका नहीं मिल सका था.
पृथ्वी शॉ के अंडर-19 के कोच राहुल द्रविड़ उनकी मानसिकता से बहुत प्रभावित हैं. उनका कहना है कि पृथ्वी ने अपनी क्रिकेट में लगातार सुधार किया है.

 जैसे ही पृथ्वी शॉ ने शतक जड़ा सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाएं आने लगीं. पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने लिखा, "अभी तो बस शुरुआत है, लड़के में बहुत दम है."

Monday, September 24, 2018

भारी बारिश पर हाई अलर्ट, घग्गर उफान पर, जनजीवन प्रभावित

जिला में दो दिन से हो रही तेज बारिश के बाद हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पंचकूला से गुजरने वाली नदी-नाले उफान पर हैं। घग्गर में जल स्तर बढ़ गया है। सुखना झील के गेट खुलने के बाद राजीव एवं इंदिरा कालोनी के अलावा सेक्टर 19 से गुजरने वाले नालों में भी पानी का बहाव बढ़ गया है।
प्राप्त जानकारी अनुसार शनिवार से शुरू हुई बारिश सोमवार को पूरा दिन जारी रही। इससे सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा है। स्कूलों में आज बच्चों की उपस्थित अन्य दिनों के मुकाबले कम रही। बाजारों से रौनक गायब थी। बहुत कम लोग घरों से बाहर निकले। सड़कों पर भी आम दिनों के मुकाबले कम वाहन नजर आये। सेक्टर 19 में नगर निगम द्वारा पानी खड़ा होने की आशंका के चलते फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहले ही लगा दी गई थी। नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी जरनैल सिंह के अनुसार पंचकूला शहर में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। सेक्टर 19 में पहले से ही अहतियात बरती जा रही है। हालांकि सुखना के गेट खोलने से यहां पानी भरने की आशंका पैदा हो गई है। वहीं घग्गर नदी भी आज पूरे उफान पर रही। उपायुक्त मुकुल कुमार ने डीआरओ के साथ घग्गर नदी एवं आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया। लोगों से घग्गर के पास न जाने की अपील की गई है।
बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित
जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए गए हैं। उपायुक्त ने बताया कि जिला स्तर पर जिला सचिवालय (डी) के तहसील भवन में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है जिसका दूरभाष नंबर 0172-2562135 व 0172-2568311 है। उपमंडल स्तर पर उपमंडल अधिकारी (ना.) पंचकूला के बाढ़ नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नंबर 0172-2561685, कालका का नंबर 01733-220500 है। पंचकूला में तहसील स्तर पर स्थापित किए गए बाढ़ नियंत्रण कक्ष (बी) का दूरभाष नंबर 0172-2562135 और तहसीलदार कालका कार्यालय स्थित नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नंबर 01733-220501 है। बीडीपीओ पिंजौर के कार्यालय में खंड स्तर पर स्थापित बाढ़ नियंत्रण कक्ष (ए) का दूरभाष नंबर 01733-220046 है। नगर निगम द्वारा शहरी क्षेत्र पंचकूला, कालका व पिंजौर के लिए स्थापित बाढ नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नंबर 0172-2583794 है।अलग-अलग मामलों में मोहाली पुलिस द्वारा लोगों को झूठे केसों में फंसाने के आरोप लगे हैं। अत्याचार एवं भ्रष्टाचार विरोधी फ्रंट के प्रधान बलविन्द्र सिंह कुंभड़ा ने बताया कि पहला केस जिला मोहाली के गांव धड़ाककलां के 2 युवकों गुरिन्द्र सिंह तथा अजयवीर सिंह का है जिनके खिलाफ खरड़ थाने में केस दर्ज किया गया है। आज यहां प्रेस कान्फ्रेंस करते हुए ज्ञान सिंह निवासी धड़ाककलां तथा अन्य लोगों ने बताया कि उसके बेटे अजयवीर सिंह तथा दूसरे युवक गुरिन्द्र सिंह को गांव के ही एक युवक ने पुरानी रंजिश के चलते मजात पुलिस चौकी में किडनैपिंग के झूठे केस में फंसा दिया है। दोनों युवकों ने अदालत से जमानत मिलने उपरांत डीजीपी तथा एसएसपी से केस की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। जांच डीएसपी खरड़ को मार्क होने के बावजूद जांच शुरू तक नहीं की गई। दूसरे केस में निर्भय सिंह पुत्र जोगिन्द्र सिंह निवासी गांव मुल्लांपुर तथा उनकी पत्नी जसविन्द्र कौर ने बताया कि इसी वर्ष 4 अगस्त को उनके घर लालड़ू थाने से आई पुलिस पार्टी ने उनके बेटे को पकड़ने के लिए अचानक रेड की। इस दौरान पुलिस ने गाली ग्लौज किया तथा उनके बेटे गुरजिन्द्र सिंह से मारपीट की। जब गांव के लोगों ने रेड किये जाने तथा मारपीट का कारण पूछा तो उन्होंने बिना कुछ बताये ही उनके खिलाफ बस्सी पठाणां पुलिस स्टेशन में पुलिस पर हमले का केस दर्ज करवा दिया।
एसएसपी कार्यालय के आगे धरने की चेतावनी
प्रधान बलविन्द्र सिंह कुंभड़ा, गुरमीत सिंह सरपंच गांव धड़ाक, गुरिन्द्र सिंह सरपंच गांव मजात आदि ने कहा कि अगर मोहाली पुलिस ने उक्त दोनों केसों में निष्पक्ष जांच नहीं करवाई तो वे गांवों के लोगों को साथ लेकर एसएसपी मोहाली आफिस के आगे धरना देंगे। इस मौके भगवंत सिंह पंच मुल्लांपुर, लखमिन्द्र सिंह पंच मुल्लांपुर, गुरमीत सिंह सरपंच आदि भी मौजूद थे।

Tuesday, August 28, 2018

कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर किसने क्या कहा

दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने कहा है कि महाराष्ट्र पुलिस ने जो दस्तावेज़ सौंपे हैं उनसे ये पता नहीं चलता है कि नवलखा को ट्रांज़िट रिमांड पर ले जाने की अनुमति क्यों दी जाए.
जब बेंच ने महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों से पूछा कि उनकी तरफ़ से कोर्टरूम में कौन है और नवलखा पर आरोप क्या हैं तो कोई भी ठोस जवाब नहीं मिला.
मालदीव और भारत में तनाव ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा. मालदीव इस बात पर अड़ा हुआ है कि भारत ने उसे जो दो हेलिकॉप्टर और पायलट दल दिए थे, उन्हें वापस बुला ले. हालांकि भारत ने अब तक ऐसा कोई फ़ैसला नहीं लिया है.
भारत 23 सितंबर को मालदीव में होने वाले राष्ट्रपति के चुनावी नतीजों का इंतजार कर रहा है. भारत चुनाव से पहले दोनों हेलिकॉप्टर वापस नहीं लाना चाहता है. हालांकि मालदीव में चुनाव के बाद सरकार बदलने की संभावना कम ही है क्योंकि विपक्ष ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन पर निष्पक्ष चुनाव नहीं कराने की आशंका ज़ाहिर की है. लेकिन भारत को उम्मीद है कि मालदीव की जनता में इस सरकार को लेकर ग़ुस्सा है और परिवर्तन हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिखा है. इस पत्र में क़ानून मंत्री ने सर्वोच्च अदालत के अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस दीपक मिश्रा को नाम भेजने के लिए कहा है.
प्रसाद अर्जेंटीना और अमरीका के दौरे पर हैं पर उन्होंने जाने से पहले पिछले हफ़्ते जस्टिस दीपक मिश्रा को यह पत्र भेजा था.
जस्टिस मिश्रा दो अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत क़ानून मंत्रालय वर्तमान मुख्य न्यायाधीश से अगले चीफ़ जस्टिस के लिए जज के नाम की सिफ़ारिश मांगता है.
मुख्य न्यायाधीश के बाद जो सबसे वरिष्ठ जज होता है उसे ही सुप्रीम कोर्ट में चीफ़ जस्टिस बनाने की परंपरा रही है. दीपक मिश्रा के बाद जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के जेल उपाधीक्षक समेत दो लोगों को चरमपंथियों को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में भारत के ख़िलाफ़ युद्ध के लिए आतंकी प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने के आरोप में गिरफ़्तार किया है.
इन अभियुक्तों की पहचान शोपियां के इशाक़ पल्ला और बडगाम के फ़िरोज़ अहमद लोन के रूप में हुई है. लोन जेल उपाधीक्षक के तौर पर जम्मू के अंफ़ाला जेल में तैनात थे.
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर चीन ने राजनैतिक समाधान की बात रखी है. चीन ने कहा कि म्यांमार पर एकतरफ़ा आरोप और दबाव काम नहीं करेगा. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि रख़ाइन प्रांत और बाक़ी इलाक़ों में हुए जनसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के मामले में म्यांमार के बड़े सैन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए.
एक साल पहले हिंसा की वजह से सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार से भागना पड़ा था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बैठक कर रही है. सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी की एंबेसेडर केट ब्लैंचेट ने रोहिंग्या शरणार्थियों की पैरवी की जिनसे वह हाल ही में बांग्लादेश के शरणार्थी कैंप में मिल कर आई थीं.

Monday, August 13, 2018

हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता महाराष्ट्र में हमले करने वाले थे

महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. एटीएस का दावा है कि ये संदिग्ध राज्य में कई जगहों पर हमले की योजना बना रहे थे.
मुंबई की विशेष अदालत ने अभियुक्तों को 18 अगस्त तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
गिरफ़्तार किए गए तीन लोगों का नाम वैभव राउत, शरद कलास्कर और सुधना गोंडलेकर है. एटीएस के मुताबिक, उन्हें कलास्कर के घर से एक काग़ज़ मिला है जिस पर बम बनाने की विधि लिखी हुई है.
एटीएस का दावा है कि वैभव राउत के मुंबई में नालासोपारा स्थित घर से 22 क्रूड बम और जिलेटिन स्टिक्स मिली हैं. वो ये भी दावा कर रहे हैं कि तीनों संदिग्ध एक-दूसरे के संपर्क में थे.
एटीएस ने अदालत को बताया कि उन्हें यह सूचना मिली थी कि कुछ अज्ञात लोग पुणे, सतारा, नालासोपारा और मुंबई में चरमपंथी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं. इसी के मद्देनज़र एटीएस ने तफ़्तीश की और तीन लोगों पर मुक़दमा दर्ज किया गया.
वैभव राउत को सनातन संस्था का सदस्य बताया जा रहा है, लेकिन संस्था ने इस दावे को ख़ारिज़ किया है. सनातन संस्था से जुड़े सुनील घनावत ने वैभव को 'हिंदू गोवंश रक्षा समिति' का सदस्य बताया है.
अभियुक्त के वकील संजीव पुनालेकर ने कहा कि वैभव हिंदूवादी कार्यकर्ता हैं और हम उन्हें हर तरह का सहयोग देंगे.
संजीव ने कहा, "वैभव गोरक्षक हैं. ईद के वक़्त उन्होंने जानवरों की कुर्बानी देने का विरोध किया था. सरकार उनकी ज़िंदग़ी बर्बाद करना चाहती है."
वैभव राउत के बारे में जब गूगल पर सर्च किया गया तो सनातन संस्था से सम्बन्धित पेज खुले लेकिन उनमें से कई लिंक अब खुल नहीं रहे हैं.
सुधना गोंडलेकर को संभाजी भिड़े की संस्था शिव प्रतिष्ठान का कार्यकर्ता बताया जा रहा है.
यहां ये जानना दिलचस्प होगा कि पुलिस ने संभाजी भिड़े भीमा कोरेगांव दंगा मामले में संदिग्ध माना था लेकिन बाद में उनके ख़िलाफ़ कोई सुबूत नहीं मिला था.
शिव प्रतिष्ठान संस्था के नितिन चौगुले ने न्यूज़ चैनल टीवी नाइन मराठी से कहा कि वो संस्था के कार्यकर्ता थे, लेकिन बीते चार साल से उनका संस्था से कोई लेना-देना नहीं था.
सनातन संस्था के चेतन राजहंस से जब ने एबीपी माझा से कहा कि सनातन संस्था और शिव प्रतिष्ठान दोनों ही हिंदूवादी संगठन हैं.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चह्वाण ने कहा, "इससे पहले भी सनातन संस्था की विचारधारा और बम धमाकों से जुड़े मामलों में लिप्तता सामने आती रही है. इसलिए इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया जाना चाहिए."
वहीं कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने एक तस्वीर ट्वीट करके दावा किया कि वैभव राउत का सनातन संस्था से सीधा सम्बन्ध है.
इससे पहले सनातन संस्था से जुड़े लोगों को दाभोलकर और पंसारे हत्याकांड समेत गडकरी रंगायतन और मडगांव बम धमाकों से जुड़े मामलों में गिरफ़्तार किया जा चुका है.

Wednesday, August 1, 2018

हममें एनआरसी लागू करने की हिम्मत हैः अमित शाह

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर पर बयान देते हुए कहा है कि उनकी पार्टी में इसे लागू करने की हिम्मत है.
अमित शाह ने कहा कि 1985 में हुए असम समझौते की आत्मा ही एनआरसी है.
उन्होंने कहा कि राजीव गांधी सरकार ने ये समझौता तो किया लेकिन एनआरसी को लागू नहीं किया.
शाह ने कहा, "14 अगस्त 1985 को राजीव गांधी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर किए और 15 अगस्त को लाल किले से इसकी घोषणा की. क्या था असम समझौते की आत्मा? इस समझौते की आत्मा ही एनआरसी थी."
उन्होंने कहा, "समझौते में कहा गया कि अवैध घुसपैठियों को पहचान कर, उनको हमारे सिटीजन रजिस्टर से अलग करके एक शुद्ध नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जाएगा. ये पहल कांग्रेस के प्रधानमंत्री ने ही की थी. उनमें इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है इसलिए हम इसे लागू करने के लिए निकले हैं."
अमित शाह ने कहा, "इन चालीस लाख लोगों में बांग्लादेशी घुसपैठिए कितने हैं, आप किसे बचाना चाहते हैं, बंग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं?"
अमित शाह के इस बयान के बाद सदन में ज़ोरदार हंगामा हो गया.
सोमवार को असम में राष्ट्रीय नागिरकता रजिस्टर जारी किया गया है जिसमें 40 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं है.
अब इन लोगों की नागरिकता पर सवाल उठ रहे हैं. रजिस्टर में नाम न होने की वजह से ये लोग भारत के नागरिक नहीं रह जाएंगे.
हालांकि जिन लोगों के नाम रजिस्टर में नहीं है उनके पास अपनी नागरिकता का दावा करने का मौक़ा होगा.
इन 40 लाख लोगों का क्या किया जाएगा इस बारे में भी अभी नीति स्पष्ट नहीं है.
भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा था जिन लोगों के नाम रजिस्टर में नहीं हैं उन्हें तुरंत देश से नहीं निकाला जाएगा.
राजनाथ सिंह ने ये भी कहा कि उन्हें तुरंत हिरासत में भी नहीं लिया जाएगा.
पूर्वोत्तर राज्य असम की कुल आबादी 3.29 करोड़ है जिसमें से एनआरसी में कुल 2.89 करोड़ लोगों को ही शामिल किया गया है.
यानी 40 लाख लोगों को फिलहाल भारत का नागरिक नहीं माना गया है.
उससे यही आभास मिला कि राष्ट्र की रक्षा करना सरकार का काम नहीं है या ये उसके बस की बात नहीं है, उसके लिए तो ईश्वरीय कृपा चाहिए.
बीजेपी से जुड़े नेताओं का संकल्प ये था कि देश की सीमाओं से मिट्टी लाई जाएगी, घर-घर से घी माँगा जाएगा, जो घी नहीं दे सकते वे पेटीएम से 11 रुपए दान कर सकते हैं.
इसके बाद मुग़लिया दौर में बने लाल क़िले में हवन कुंड बनाकर समिधा डाली जानी थी जिससे राष्ट्र के शत्रुओं का नाश होना था. इस धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के लिए आपको बस मिस्ड कॉल देना था. ऐसा सुंदर प्रावधान किस वेद-पुराण में है?
राष्ट्र रक्षा महायज्ञ की पूजन विधि और महात्म्य आप यहाँ
बीजेपी के पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी ने बीबीसी को बताया था कि डोकलाम और जम्मू-कश्मीर से मिट्टी लाने के लिए रथ रवाना किए गए हैं.
इस हवन के लिए भारत-चीन सीमा से इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आइटीबीपी) की मदद से डोकलाम की मिट्टी लाई जानी थी.
अगर ईश्वर में आस्था है तो फिर पता नहीं क्यों, देश के प्रधानमंत्री इस हवन की घोषणा के बाद से चीनी राष्ट्रपति से कई बार बिना किसी एजेंडा के मिल चुके हैं, शायद हवन की विभूति साथ लेकर जाते रहे हों?
इस यज्ञ की शुरूआत धूम से हुई थी अगर पूर्णाहुति धूम से नहीं हुई तो ये ईश्वर और भक्तों, दोनों के साथ छल है.
मिस्ड कॉल देने वाले ही बता पाएँगे कि उन्हें प्रसाद मिला या नहीं? लोकतंत्र के साथ जो छल हो रहा उसकी बात बाद में करते हैं.
देश में बहुत सारे धार्मिक अनुष्ठान चल रहे हैं, 2019 के चुनाव तक पुण्यकार्यों का सिलसिला और तेज़ होता जाएगा.
देश में आम चुनाव से पहले राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए वहाँ ईश्वर की गुहार ज्यादा ज़ोर से लगाई जा रही है.
राजस्थान की मुख्यमंत्री जिन्हें उनकी पार्टी के ही लोग 'महारानी' कहते हैं, वे इसका बुरा नहीं मानतीं, कितना बड़प्पन है! वे ख़ुद को कभी राजपूत, कभी गूजर और कभी हिंदुत्व की सेनानी बताती रही हैं. ईश्वर की अराधना करते हुए दिखकर वे बहुसंख्यक हिंदू जनता को तुष्ट करने की कोशिश कर रही हैं.
मगर नहीं, इसे तुष्टीकरण कैसे कह सकते हैं? तुष्टीकरण तो सिर्फ़ मुसलमानों का होता है, तुष्टीकरण तो सिर्फ़ काँग्रेस करती है!
टैक्स देने वाली जनता के ख़र्चे पर राजस्थान के अख़बारों में बड़े-बड़े विज्ञापन छपे हैं कि सावन महीने में सोमवार को राज्य के हर ज़िले में जनकल्याण के लिए रुद्राभिषेक होगा. आयोजक राजस्थान सरकार है, यानी यजमान मुख्यमंत्री ख़ुद हैं.
जिनके पैसों से ये आयोजन हो रहा वो जनता अख़बार में छपी तस्वीरें और टीवी देखकर धन्य होगी, आरती लेने के बाद थाली में वोट डाल देगी. कितनी सुंदर बात है न!
विस्तार से पढ़ सकते हैं.

Sunday, June 3, 2018

в России предлагают обязать организаторов квестов и реконструкций страховать участников

В России предлагают ввести обязательное страхование ответственности организаторов масштабных массовых мероприятий — страйкбольных и ролевых игр, квестов, фестивалей военно-исторической реконструкции. RT ознакомился с проектом федерального закона. Согласно инициативе, предприниматели сферы развлечений также должны объединяться в ассоциации, чтобы их деятельность была более прозрачной. По оценке специалистов, такие меры могут пойти на пользу индустрии — рынок станет проще регулировать, а участники игр смогут получать компенсации при несчастных случаях.

В понедельник, 4 июня, в законодательное собрание Ленинградской области на рассмотрение будет внесён федеральный закон «О деятельности по организации и проведению игровых развлекательных мероприятий в Российской Федерации». Как стало известно RT, документ в первую очередь касается страйкбольных и ролевых игр, квестов, фестивалей военно-исторической реконструкции, проводимых на территориях, площадь которых превышает 5000 квадратных метров.
Согласно инициативе, организаторы подобных массовых мероприятий должны будут страховать участников от несчастных случаев, объединяться в ассоциации, а также отказаться от использования нацистской символики в реконструкциях, посвящённых Великой Отечественной войне.
Автор документа, депутат фракции «Единая Россия» Владимир Петров пояснил, что в настоящее время из-за отсутствия единой законодательной базы безопасность участников не обеспечена.
«Деятельность в сфере полигонных ролевых игр никогда не попадала в поле зрения законодателя любого уровня. Квесты всего лишь приравниваются к театрализованным и карнавальным действам и не нуждаются в дополнительных согласованиях. Требования, которые предъявляются, например, к организаторам фестивалей реконструкций, урегулированы только Законом «О защите прав потребителей»», — констатирует он.
Кроме того, утверждает депутат, ответственность организаторов за причинение вреда здоровью и имуществу людей, как правило, чётко не определена.
Ранее RT рассказывал о происшествии в Краснодаре. Программист Александр Ивлев во время прохождения квест-перформанса «Клиника» получил серьёзную травму руки. В результате в Следственном комитете было возбуждено дело по статье «Оказание услуг, не соответствующих требованиям безопасности». Но вскоре его закрыли: выяснилось, что привлечь организаторов к ответственности практически невозможно, потому что формально они не отвечают за последствия.