Tuesday, August 28, 2018

कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर किसने क्या कहा

दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने कहा है कि महाराष्ट्र पुलिस ने जो दस्तावेज़ सौंपे हैं उनसे ये पता नहीं चलता है कि नवलखा को ट्रांज़िट रिमांड पर ले जाने की अनुमति क्यों दी जाए.
जब बेंच ने महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों से पूछा कि उनकी तरफ़ से कोर्टरूम में कौन है और नवलखा पर आरोप क्या हैं तो कोई भी ठोस जवाब नहीं मिला.
मालदीव और भारत में तनाव ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा. मालदीव इस बात पर अड़ा हुआ है कि भारत ने उसे जो दो हेलिकॉप्टर और पायलट दल दिए थे, उन्हें वापस बुला ले. हालांकि भारत ने अब तक ऐसा कोई फ़ैसला नहीं लिया है.
भारत 23 सितंबर को मालदीव में होने वाले राष्ट्रपति के चुनावी नतीजों का इंतजार कर रहा है. भारत चुनाव से पहले दोनों हेलिकॉप्टर वापस नहीं लाना चाहता है. हालांकि मालदीव में चुनाव के बाद सरकार बदलने की संभावना कम ही है क्योंकि विपक्ष ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन पर निष्पक्ष चुनाव नहीं कराने की आशंका ज़ाहिर की है. लेकिन भारत को उम्मीद है कि मालदीव की जनता में इस सरकार को लेकर ग़ुस्सा है और परिवर्तन हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिखा है. इस पत्र में क़ानून मंत्री ने सर्वोच्च अदालत के अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए जस्टिस दीपक मिश्रा को नाम भेजने के लिए कहा है.
प्रसाद अर्जेंटीना और अमरीका के दौरे पर हैं पर उन्होंने जाने से पहले पिछले हफ़्ते जस्टिस दीपक मिश्रा को यह पत्र भेजा था.
जस्टिस मिश्रा दो अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत क़ानून मंत्रालय वर्तमान मुख्य न्यायाधीश से अगले चीफ़ जस्टिस के लिए जज के नाम की सिफ़ारिश मांगता है.
मुख्य न्यायाधीश के बाद जो सबसे वरिष्ठ जज होता है उसे ही सुप्रीम कोर्ट में चीफ़ जस्टिस बनाने की परंपरा रही है. दीपक मिश्रा के बाद जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के जेल उपाधीक्षक समेत दो लोगों को चरमपंथियों को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में भारत के ख़िलाफ़ युद्ध के लिए आतंकी प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने के आरोप में गिरफ़्तार किया है.
इन अभियुक्तों की पहचान शोपियां के इशाक़ पल्ला और बडगाम के फ़िरोज़ अहमद लोन के रूप में हुई है. लोन जेल उपाधीक्षक के तौर पर जम्मू के अंफ़ाला जेल में तैनात थे.
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर चीन ने राजनैतिक समाधान की बात रखी है. चीन ने कहा कि म्यांमार पर एकतरफ़ा आरोप और दबाव काम नहीं करेगा. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि रख़ाइन प्रांत और बाक़ी इलाक़ों में हुए जनसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के मामले में म्यांमार के बड़े सैन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए.
एक साल पहले हिंसा की वजह से सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार से भागना पड़ा था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बैठक कर रही है. सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी की एंबेसेडर केट ब्लैंचेट ने रोहिंग्या शरणार्थियों की पैरवी की जिनसे वह हाल ही में बांग्लादेश के शरणार्थी कैंप में मिल कर आई थीं.

Monday, August 13, 2018

हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता महाराष्ट्र में हमले करने वाले थे

महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. एटीएस का दावा है कि ये संदिग्ध राज्य में कई जगहों पर हमले की योजना बना रहे थे.
मुंबई की विशेष अदालत ने अभियुक्तों को 18 अगस्त तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
गिरफ़्तार किए गए तीन लोगों का नाम वैभव राउत, शरद कलास्कर और सुधना गोंडलेकर है. एटीएस के मुताबिक, उन्हें कलास्कर के घर से एक काग़ज़ मिला है जिस पर बम बनाने की विधि लिखी हुई है.
एटीएस का दावा है कि वैभव राउत के मुंबई में नालासोपारा स्थित घर से 22 क्रूड बम और जिलेटिन स्टिक्स मिली हैं. वो ये भी दावा कर रहे हैं कि तीनों संदिग्ध एक-दूसरे के संपर्क में थे.
एटीएस ने अदालत को बताया कि उन्हें यह सूचना मिली थी कि कुछ अज्ञात लोग पुणे, सतारा, नालासोपारा और मुंबई में चरमपंथी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं. इसी के मद्देनज़र एटीएस ने तफ़्तीश की और तीन लोगों पर मुक़दमा दर्ज किया गया.
वैभव राउत को सनातन संस्था का सदस्य बताया जा रहा है, लेकिन संस्था ने इस दावे को ख़ारिज़ किया है. सनातन संस्था से जुड़े सुनील घनावत ने वैभव को 'हिंदू गोवंश रक्षा समिति' का सदस्य बताया है.
अभियुक्त के वकील संजीव पुनालेकर ने कहा कि वैभव हिंदूवादी कार्यकर्ता हैं और हम उन्हें हर तरह का सहयोग देंगे.
संजीव ने कहा, "वैभव गोरक्षक हैं. ईद के वक़्त उन्होंने जानवरों की कुर्बानी देने का विरोध किया था. सरकार उनकी ज़िंदग़ी बर्बाद करना चाहती है."
वैभव राउत के बारे में जब गूगल पर सर्च किया गया तो सनातन संस्था से सम्बन्धित पेज खुले लेकिन उनमें से कई लिंक अब खुल नहीं रहे हैं.
सुधना गोंडलेकर को संभाजी भिड़े की संस्था शिव प्रतिष्ठान का कार्यकर्ता बताया जा रहा है.
यहां ये जानना दिलचस्प होगा कि पुलिस ने संभाजी भिड़े भीमा कोरेगांव दंगा मामले में संदिग्ध माना था लेकिन बाद में उनके ख़िलाफ़ कोई सुबूत नहीं मिला था.
शिव प्रतिष्ठान संस्था के नितिन चौगुले ने न्यूज़ चैनल टीवी नाइन मराठी से कहा कि वो संस्था के कार्यकर्ता थे, लेकिन बीते चार साल से उनका संस्था से कोई लेना-देना नहीं था.
सनातन संस्था के चेतन राजहंस से जब ने एबीपी माझा से कहा कि सनातन संस्था और शिव प्रतिष्ठान दोनों ही हिंदूवादी संगठन हैं.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चह्वाण ने कहा, "इससे पहले भी सनातन संस्था की विचारधारा और बम धमाकों से जुड़े मामलों में लिप्तता सामने आती रही है. इसलिए इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया जाना चाहिए."
वहीं कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने एक तस्वीर ट्वीट करके दावा किया कि वैभव राउत का सनातन संस्था से सीधा सम्बन्ध है.
इससे पहले सनातन संस्था से जुड़े लोगों को दाभोलकर और पंसारे हत्याकांड समेत गडकरी रंगायतन और मडगांव बम धमाकों से जुड़े मामलों में गिरफ़्तार किया जा चुका है.

Wednesday, August 1, 2018

हममें एनआरसी लागू करने की हिम्मत हैः अमित शाह

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर पर बयान देते हुए कहा है कि उनकी पार्टी में इसे लागू करने की हिम्मत है.
अमित शाह ने कहा कि 1985 में हुए असम समझौते की आत्मा ही एनआरसी है.
उन्होंने कहा कि राजीव गांधी सरकार ने ये समझौता तो किया लेकिन एनआरसी को लागू नहीं किया.
शाह ने कहा, "14 अगस्त 1985 को राजीव गांधी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर किए और 15 अगस्त को लाल किले से इसकी घोषणा की. क्या था असम समझौते की आत्मा? इस समझौते की आत्मा ही एनआरसी थी."
उन्होंने कहा, "समझौते में कहा गया कि अवैध घुसपैठियों को पहचान कर, उनको हमारे सिटीजन रजिस्टर से अलग करके एक शुद्ध नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जाएगा. ये पहल कांग्रेस के प्रधानमंत्री ने ही की थी. उनमें इसे लागू करने की हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है इसलिए हम इसे लागू करने के लिए निकले हैं."
अमित शाह ने कहा, "इन चालीस लाख लोगों में बांग्लादेशी घुसपैठिए कितने हैं, आप किसे बचाना चाहते हैं, बंग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं?"
अमित शाह के इस बयान के बाद सदन में ज़ोरदार हंगामा हो गया.
सोमवार को असम में राष्ट्रीय नागिरकता रजिस्टर जारी किया गया है जिसमें 40 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं है.
अब इन लोगों की नागरिकता पर सवाल उठ रहे हैं. रजिस्टर में नाम न होने की वजह से ये लोग भारत के नागरिक नहीं रह जाएंगे.
हालांकि जिन लोगों के नाम रजिस्टर में नहीं है उनके पास अपनी नागरिकता का दावा करने का मौक़ा होगा.
इन 40 लाख लोगों का क्या किया जाएगा इस बारे में भी अभी नीति स्पष्ट नहीं है.
भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा था जिन लोगों के नाम रजिस्टर में नहीं हैं उन्हें तुरंत देश से नहीं निकाला जाएगा.
राजनाथ सिंह ने ये भी कहा कि उन्हें तुरंत हिरासत में भी नहीं लिया जाएगा.
पूर्वोत्तर राज्य असम की कुल आबादी 3.29 करोड़ है जिसमें से एनआरसी में कुल 2.89 करोड़ लोगों को ही शामिल किया गया है.
यानी 40 लाख लोगों को फिलहाल भारत का नागरिक नहीं माना गया है.
उससे यही आभास मिला कि राष्ट्र की रक्षा करना सरकार का काम नहीं है या ये उसके बस की बात नहीं है, उसके लिए तो ईश्वरीय कृपा चाहिए.
बीजेपी से जुड़े नेताओं का संकल्प ये था कि देश की सीमाओं से मिट्टी लाई जाएगी, घर-घर से घी माँगा जाएगा, जो घी नहीं दे सकते वे पेटीएम से 11 रुपए दान कर सकते हैं.
इसके बाद मुग़लिया दौर में बने लाल क़िले में हवन कुंड बनाकर समिधा डाली जानी थी जिससे राष्ट्र के शत्रुओं का नाश होना था. इस धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के लिए आपको बस मिस्ड कॉल देना था. ऐसा सुंदर प्रावधान किस वेद-पुराण में है?
राष्ट्र रक्षा महायज्ञ की पूजन विधि और महात्म्य आप यहाँ
बीजेपी के पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी ने बीबीसी को बताया था कि डोकलाम और जम्मू-कश्मीर से मिट्टी लाने के लिए रथ रवाना किए गए हैं.
इस हवन के लिए भारत-चीन सीमा से इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आइटीबीपी) की मदद से डोकलाम की मिट्टी लाई जानी थी.
अगर ईश्वर में आस्था है तो फिर पता नहीं क्यों, देश के प्रधानमंत्री इस हवन की घोषणा के बाद से चीनी राष्ट्रपति से कई बार बिना किसी एजेंडा के मिल चुके हैं, शायद हवन की विभूति साथ लेकर जाते रहे हों?
इस यज्ञ की शुरूआत धूम से हुई थी अगर पूर्णाहुति धूम से नहीं हुई तो ये ईश्वर और भक्तों, दोनों के साथ छल है.
मिस्ड कॉल देने वाले ही बता पाएँगे कि उन्हें प्रसाद मिला या नहीं? लोकतंत्र के साथ जो छल हो रहा उसकी बात बाद में करते हैं.
देश में बहुत सारे धार्मिक अनुष्ठान चल रहे हैं, 2019 के चुनाव तक पुण्यकार्यों का सिलसिला और तेज़ होता जाएगा.
देश में आम चुनाव से पहले राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए वहाँ ईश्वर की गुहार ज्यादा ज़ोर से लगाई जा रही है.
राजस्थान की मुख्यमंत्री जिन्हें उनकी पार्टी के ही लोग 'महारानी' कहते हैं, वे इसका बुरा नहीं मानतीं, कितना बड़प्पन है! वे ख़ुद को कभी राजपूत, कभी गूजर और कभी हिंदुत्व की सेनानी बताती रही हैं. ईश्वर की अराधना करते हुए दिखकर वे बहुसंख्यक हिंदू जनता को तुष्ट करने की कोशिश कर रही हैं.
मगर नहीं, इसे तुष्टीकरण कैसे कह सकते हैं? तुष्टीकरण तो सिर्फ़ मुसलमानों का होता है, तुष्टीकरण तो सिर्फ़ काँग्रेस करती है!
टैक्स देने वाली जनता के ख़र्चे पर राजस्थान के अख़बारों में बड़े-बड़े विज्ञापन छपे हैं कि सावन महीने में सोमवार को राज्य के हर ज़िले में जनकल्याण के लिए रुद्राभिषेक होगा. आयोजक राजस्थान सरकार है, यानी यजमान मुख्यमंत्री ख़ुद हैं.
जिनके पैसों से ये आयोजन हो रहा वो जनता अख़बार में छपी तस्वीरें और टीवी देखकर धन्य होगी, आरती लेने के बाद थाली में वोट डाल देगी. कितनी सुंदर बात है न!
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